अक्ल हो, तो मुझे अक्ल से किसी को समझाकर भी उसका दुःख कम करना है।
2.
बाहर कम हो तो हर्ज नहीं, मगर अंदर का भाव तो होना ही चाहिए अपना कि मेरे पास पैसे हैं, तो मुझे किसी का दुःख कम करना है।
3.
दूसरों कों खुशी देखकर हमे भी अपनी खुशियों कों बढ़ाना हैं | दूसरों के दुःख देखकर हमे अपना दुःख कम करना हैं | जीवन परिवर्तन शील हैं | जो कल था, आज नही हैं | जो आज हैं, कल नही रहेंगा | अपना कर्म ही समस्त सुखो का आधार हैं | अपने कर्तव्य के पालन द्वारा ही हम शांत-चित्त बने रह सकेंगे |